अपावन हूँ पावन चरण में पड़ा हूँ
नहीं कोई दीखे अपना जहाँ में
सिवा तेरे द्वारे के जाऊं कहाँ मैं
विवश होके तेरे भवन में भवन में पड़ा हूँ
हे माँ शरण में पड़ा हूँ
है नैया भंवर में पड़ी बे - सहारे
तू पतवार बनके लगा दे किनारे
करो पर उलझन कठिन में पड़ा हूँ
हे माँ शरण में पड़ा हूँ
संभालो संभालो, अरे लाटों वाली
ये भर दो दुआओं से झोली है खली
शर तेरी तारन - तरन में पड़ा हूँ
हे माँ शरण में पड़ा हूँ
अपावन हूँ पावन चरण में पड़ा हूँ
नहीं कोई दीखे अपना जहाँ में
सिवा तेरे द्वारे के जाऊं कहाँ मैं
विवश होके तेरे भवन में भवन में पड़ा हूँ
हे माँ शरण में पड़ा हूँ
है नैया भंवर में पड़ी बे - सहारे
तू पतवार बनके लगा दे किनारे
करो पर उलझन कठिन में पड़ा हूँ
हे माँ शरण में पड़ा हूँ
संभालो संभालो, अरे लाटों वाली
ये भर दो दुआओं से झोली है खली
शर तेरी तारन - तरन में पड़ा हूँ
हे माँ शरण में पड़ा हूँ
मेरी मइया ने कैसी सौगात भेजी,
जागरण के लिये सारी रात दे दी
कर लो जागरण मइया का – 4
रात का जो भी जागरण कराये,
भगवती माता उसके आये – 2
ओ लेके बजरंगी संग,
भैरों मस्त मलंग,
ओ माँ ने भक्तों को दर्शन की रात दे दी
जागरण के लिये सारी रात दे दी
कर लो जागरण मइया का – 4
जिस घर ज्योति का हो उजाला,
वही घर होता जग में निराला – 2
गायक मुनियो में माँ,
ऋषि मुनियों में माँ,
अपने भक्तों को भक्ति भी साथ दे दी
जागरण के लिये सारी रात दे दी
कर लो जागरण मइया का – 4
दुख हरणी ये दीन दयाला,
ये माँ काली ये मां ज्वाला,
मारे शुम्भ निशुम्भ,
मधु-कैदम-कुटुम्ब
ओ माँ ने कैसे-कैसे दुष्टों को मात दे दी
जागरण के लिये सारी रात दे दी
कर लो जागरण मइया का – 4