१. शैलपुत्री २. ब्रह्मचारिणी ३. चन्द्रघण्टा ४. कूष्माण्डा ५. स्कन्दमाता
६. कात्यायनी ७. कालरात्रि ८. महागौरी ९. सिद्धिदात्री
मां दुर्गा के नवरुपों की उपासना निम्न मंत्रों के द्वारा की जाती है. प्रथम दिन शैलपुत्री की एवं क्रमशः नवें दिन सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है -
१.शैलपुत्री
पहली देवी दुर्गा माता
जानी जाती शैल सुता
सत्य निष्ठा और समर्पण
किया जिसने शिव को वरण
प्रथम जन्म में सती कहाई
यग्य में पिता के आई
देखा पति का हुआ अपमान
नहीं मिला उसको सम्मान
यग्याग्नि में खुद को मिटाया
अपना पत्नी फ़र्ज़ निभाया
अगला जनम हिमालय के घर
फ़िर से पाया शिव को वर
त्याग और भक्त का नाता
तभी कहलाती दुर्गा माता
२.मां ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी दूसरी माता
तप और आचरण का नाता
जो भी सच्चे मन से ध्याये
मुंह मांगा मां से वर पाए
योग और भक्ति का संगम
मां वर देती है हर दम
होता उन कन्यायों का पूजन
जो पिता घर में पराया धन
३. मां चन्द्रघंटिका
चन्द्रघंटिका तीसरी माता
सुख-समद्धि की है दाता
स्वर्ण भाल में चांद बिराजे
मन-मंदिर में घंटिका बाजे
नन्ही कन्या का करें जो पूजन
देती मां उसे सुख-सुविधा धन
सिंह है बच्चो मां की स्वारी
दस हाथ वाली मां न्यारी
४.मां कुष्माण्डा
कुष्माण्डा मां माता चौथी
मानसिक दुविधा जिनको होती
या होता कोई दैहिक रोग
कर देती मां उसे निरोग
तन की दुर्बलता को मिटाए
सुन्दर और स्वस्थ बनाए
५.मां स्कन्दमाता
सकन्द माता है माता पंचम
रखती सुत को संग हरदम
मोर और सिंह जिनका वाहन
पूजें इनको जो भी जन
खुशियों से झोली भर देती
मां सारी दुविधा हर लेती
६.मां कात्यायनी
छ्ठी माता हैं मां कात्यायनी
है बच्चो अमोघ फ़लदायिनी
जो करते है इनका पूजन
नहीं बनते उनके कोई दुश्मन
महिषासुर को मारने वाली
देवों को भी तारने वाली
करती शक्ति का संचार
असुरों का जो करे संहार
जो भी मां को शीश नवाएं
मन वाछिंत फ़ल मां से पाएं
७.मां कालरात्रि
सातवीं माता कालरात्रि
है बच्चो सुखों की दात्रि
दिखने में है रूप भयानक
पर न लाना मन में शक
काली रात मिटा वो देती
सारे दुखों को हर लेती
दुष्टों का वो करे विनाश
करदे जीवन में प्रकाश
जो पूजे , न भय सताए
दुष्ट कोई भी पास न आए
शुभांकरी भी इनका नाम
सिद्ध होते इनसे सब काम
८.मां महागौरी
आठवीं माता गौरी माता
तन मन को देती है शुद्धता
पाप कलंक मिटा ये देती
अपने भक्तों को सुख देती
नाम है इनका पार्वती
पाने को शिवजी को पति
किया इन्होंने तप घनघोर
लगा दिया तन मन का जोर
शिव साधना में हुई मतवाली
पड गई इनकी देह भी काली
फ़िर शिव नें इनको अपनाया
गंगा जल से जा नहलाया
गौर वरण मां नें फ़िर पाया
मन का सब संताप मिटाया
जो इन्हें सच्चे मन से ध्याये
उसके सब संताप मिटाए
उजले वस्त्र और वाहन बैल
धो देती हर मन का मैल
९.मां सिद्धिदात्री
मां दुर्गा की है नवरात्रि
नौवीं माता सिद्धिदात्री
सर्व कार्य सिद्ध करने वाली
मां दुखों को हरने वाली
जो भी इसकी शरण में आए
उसको कोई दुख न सताए
जो भी इनका करते पूजन
पावन करती उनका मन
लोभ मोह अहंकार मिटाए
शरण में इसकी जो भी जाए
कमल और सिंह मां के वाहन
आओ करें हम सब मिल पूजन
पहली देवी दुर्गा माता
जानी जाती शैल सुता
सत्य निष्ठा और समर्पण
किया जिसने शिव को वरण
प्रथम जन्म में सती कहाई
यग्य में पिता के आई
देखा पति का हुआ अपमान
नहीं मिला उसको सम्मान
यग्याग्नि में खुद को मिटाया
अपना पत्नी फ़र्ज़ निभाया
अगला जनम हिमालय के घर
फ़िर से पाया शिव को वर
त्याग और भक्त का नाता
तभी कहलाती दुर्गा माता
२.मां ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी दूसरी माता
तप और आचरण का नाता
जो भी सच्चे मन से ध्याये
मुंह मांगा मां से वर पाए
योग और भक्ति का संगम
मां वर देती है हर दम
होता उन कन्यायों का पूजन
जो पिता घर में पराया धन
३. मां चन्द्रघंटिका
चन्द्रघंटिका तीसरी माता
सुख-समद्धि की है दाता
स्वर्ण भाल में चांद बिराजे
मन-मंदिर में घंटिका बाजे
नन्ही कन्या का करें जो पूजन
देती मां उसे सुख-सुविधा धन
सिंह है बच्चो मां की स्वारी
दस हाथ वाली मां न्यारी
४.मां कुष्माण्डा
कुष्माण्डा मां माता चौथी
मानसिक दुविधा जिनको होती
या होता कोई दैहिक रोग
कर देती मां उसे निरोग
तन की दुर्बलता को मिटाए
सुन्दर और स्वस्थ बनाए
५.मां स्कन्दमाता
सकन्द माता है माता पंचम
रखती सुत को संग हरदम
मोर और सिंह जिनका वाहन
पूजें इनको जो भी जन
खुशियों से झोली भर देती
मां सारी दुविधा हर लेती
६.मां कात्यायनी
छ्ठी माता हैं मां कात्यायनी
है बच्चो अमोघ फ़लदायिनी
जो करते है इनका पूजन
नहीं बनते उनके कोई दुश्मन
महिषासुर को मारने वाली
देवों को भी तारने वाली
करती शक्ति का संचार
असुरों का जो करे संहार
जो भी मां को शीश नवाएं
मन वाछिंत फ़ल मां से पाएं
७.मां कालरात्रि
सातवीं माता कालरात्रि
है बच्चो सुखों की दात्रि
दिखने में है रूप भयानक
पर न लाना मन में शक
काली रात मिटा वो देती
सारे दुखों को हर लेती
दुष्टों का वो करे विनाश
करदे जीवन में प्रकाश
जो पूजे , न भय सताए
दुष्ट कोई भी पास न आए
शुभांकरी भी इनका नाम
सिद्ध होते इनसे सब काम
८.मां महागौरी
आठवीं माता गौरी माता
तन मन को देती है शुद्धता
पाप कलंक मिटा ये देती
अपने भक्तों को सुख देती
नाम है इनका पार्वती
पाने को शिवजी को पति
किया इन्होंने तप घनघोर
लगा दिया तन मन का जोर
शिव साधना में हुई मतवाली
पड गई इनकी देह भी काली
फ़िर शिव नें इनको अपनाया
गंगा जल से जा नहलाया
गौर वरण मां नें फ़िर पाया
मन का सब संताप मिटाया
जो इन्हें सच्चे मन से ध्याये
उसके सब संताप मिटाए
उजले वस्त्र और वाहन बैल
धो देती हर मन का मैल
९.मां सिद्धिदात्री
मां दुर्गा की है नवरात्रि
नौवीं माता सिद्धिदात्री
सर्व कार्य सिद्ध करने वाली
मां दुखों को हरने वाली
जो भी इसकी शरण में आए
उसको कोई दुख न सताए
जो भी इनका करते पूजन
पावन करती उनका मन
लोभ मोह अहंकार मिटाए
शरण में इसकी जो भी जाए
कमल और सिंह मां के वाहन
आओ करें हम सब मिल पूजन
1. शैलपुत्री
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
2. ब्रह्मचारिणी
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
3. चन्द्रघण्टा
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता ।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता ।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥
4. कूष्माण्डा
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
5. स्कन्दमाता
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ॥
6. कात्यायनी
चन्द्रहासोज्वलकरा शार्दूलवरवाहना ।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥
चन्द्रहासोज्वलकरा शार्दूलवरवाहना ।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥
7. कालरात्रि
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता ।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा ।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी ॥
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता ।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा ।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी ॥
8. महागौरी
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः ।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ॥
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः ।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ॥
9. सिद्धिदात्री
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥
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